Wednesday, January 3, 2018

जीवन घट रीत जाता है

जीवन में हैं चार चौराहे
और अनगिनत राहें
जिनपर चलते-चलते
दिन-माह-वर्ष बीत जाता है
जीवन-घट रीत जाता है।।

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यथार्थ

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