अनगिन लड़ियाँ,
नव-अंकुर
नव कोपल,
नव-नव पंखुड़ियाँ।
ताम्र-पल्लवों से
सज्जित
प्रफुल्लित
प्रमुदित
विहँसित
वन-वाटिका-वल्लरियाँ॥
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
1 comment:
bahut badhiya.. shubhkamnayen !
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