राह में रोड़े जो आयें
पीसकर रज उनको बना दो।
यह काँच नहीं फौलाद है
विराट-रूप सबको दिखा दो।
आँख तनिक गर हो टेढ़ी
भृकुटी यदि तनिक तनी हो
खोल तो नयन तृतीय
मौत से भी जो ठनी हो।
नवशती की बाला है यह
नव ओज नव ज्वाला है यह
तर्जनी से तनिक न डरती
टकटकी से जो डराते हैं इसे
निकालकर उनकी निगाहें
उन्हीं के हथेली पर धरती।
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