कुहरे की चादर को
धीरे-धीरे खींचता सूरज
प्राची दिशा से
धीरे-धीरे उगता सूरज।।
सोते हुये जग को
धीरे-धीरे जगाता सूरज।
रक्त की जमी बूँदों में
ऊर्जस्वित करता सूरज।।
धीरे-धीरे खींचता सूरज
प्राची दिशा से
धीरे-धीरे उगता सूरज।।
सोते हुये जग को
धीरे-धीरे जगाता सूरज।
रक्त की जमी बूँदों में
ऊर्जस्वित करता सूरज।।
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