महिला दिवस पर
नमन उस शाश्वत शिल्पी को
जिसका शिल्प ही
उसका हस्ताक्षर होता है
जो अपने कृति पर
अधिकारत्व की
माँग नहीं करती
बल्कि
उसकी रचना
अधिकारसम्पन्न हो
इसीलिए
मंदिरों और देवालयों की
अर्चना करती है
पीपल और बरगद से
प्रार्थना करती है
रखती है उपवास
निराजल-सजल
फलाहार-निराहार
सूर्य को अनगिनत
अर्घ्य देती है।।
कभी नहीं जताती
कापीराइट
पर अपनी सृष्टि को
हर पल नयी ऊँचाईयों पर
नये सोपानों पर
चढ़ाती है।
इतिहास के नये पन्ने
रचती है
और उसपर अपनी रचना के
गुणों को उकेरती है।
वह अनन्त शिल्पी
कभी अधिकार के लिए
नहीं लड़ती
कर्तव्य की मूर्ति में
सब कुछ ढाल देती है
और स्वयं ढल जाती है।
इसलिये अधिकार की बात आते ही
वर्चस्व के पन्ने खुलते ही
वह कहीं नहीं दिखती
एक कोना रिक्त
अवश्य दिखता है
कर्तव्यके
आग से तप्त
चमकता हुआ।
जिसकी चमक से फिर
अधिकार छोड़ लोग
कर्तव्य के मार्ग पर
बढ़ते हैं
प्रवृत्त होते हैं।
उस शिल्पी का जीवन
इस बात का है उदाहरण
कि जो रचता है
रचना करता है
वह सामान्य परिस्थितियों में
अडिग रहता है
अटल रहता है
अचल रहता है
और कठिन परिस्थितियों को सहकर भी
नहीं बिखरता है।
रचनाकार
अति होने पर ही
प्रलय मार्ग धरता है
विध्वंस करताहै।
नमन उस शिल्पी को
जिसके शिल्प में जीवन है
जिसके शिल्प में वात्सल्य है
जिसके शिल्प में करुणा है
जिसके शिल्प में ममता है
जिसके शिल्प में
अजस्र मानवता है।।
#InternationalWomensDay #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस_2018
नमन उस शाश्वत शिल्पी को
जिसका शिल्प ही
उसका हस्ताक्षर होता है
जो अपने कृति पर
अधिकारत्व की
माँग नहीं करती
बल्कि
उसकी रचना
अधिकारसम्पन्न हो
इसीलिए
मंदिरों और देवालयों की
अर्चना करती है
पीपल और बरगद से
प्रार्थना करती है
रखती है उपवास
निराजल-सजल
फलाहार-निराहार
सूर्य को अनगिनत
अर्घ्य देती है।।
कभी नहीं जताती
कापीराइट
पर अपनी सृष्टि को
हर पल नयी ऊँचाईयों पर
नये सोपानों पर
चढ़ाती है।
इतिहास के नये पन्ने
रचती है
और उसपर अपनी रचना के
गुणों को उकेरती है।
वह अनन्त शिल्पी
कभी अधिकार के लिए
नहीं लड़ती
कर्तव्य की मूर्ति में
सब कुछ ढाल देती है
और स्वयं ढल जाती है।
इसलिये अधिकार की बात आते ही
वर्चस्व के पन्ने खुलते ही
वह कहीं नहीं दिखती
एक कोना रिक्त
अवश्य दिखता है
कर्तव्यके
आग से तप्त
चमकता हुआ।
जिसकी चमक से फिर
अधिकार छोड़ लोग
कर्तव्य के मार्ग पर
बढ़ते हैं
प्रवृत्त होते हैं।
उस शिल्पी का जीवन
इस बात का है उदाहरण
कि जो रचता है
रचना करता है
वह सामान्य परिस्थितियों में
अडिग रहता है
अटल रहता है
अचल रहता है
और कठिन परिस्थितियों को सहकर भी
नहीं बिखरता है।
रचनाकार
अति होने पर ही
प्रलय मार्ग धरता है
विध्वंस करताहै।
नमन उस शिल्पी को
जिसके शिल्प में जीवन है
जिसके शिल्प में वात्सल्य है
जिसके शिल्प में करुणा है
जिसके शिल्प में ममता है
जिसके शिल्प में
अजस्र मानवता है।।
#InternationalWomensDay #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस_2018
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