देशद्रोहियों को गले लगाना
सिर पर चढ़ाना...
और उनको कन्धे पर लेकर ठुमके लगाना..
अब "कुछ" लोगों की नियति बन गयी है ।
ये प्रथम "देशद्रोही" हैं,
अब पहचानों इनको
क्योंकि
इनसे राष्ट्रवाद की ठन गयी है ॥
अब आस्तीन के साँपों को
एक-एक कर निकालना है ।
न कि दूध पिलाकर विषधर पालना है ।
सिर पर चढ़ाना...
और उनको कन्धे पर लेकर ठुमके लगाना..
अब "कुछ" लोगों की नियति बन गयी है ।
ये प्रथम "देशद्रोही" हैं,
अब पहचानों इनको
क्योंकि
इनसे राष्ट्रवाद की ठन गयी है ॥
अब आस्तीन के साँपों को
एक-एक कर निकालना है ।
न कि दूध पिलाकर विषधर पालना है ।
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