कवि की कल्पना
कांग्रेसी कल्पना के आगे
पानी भरने को मजबूर है।
क्योंकि वह अब जान चुकी है,
कांग्रेस के लिये अब
दिल्ली बहुत दूर है॥
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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