वादों का दौर जो चल रहा है
पिछले छः दशक से,
यदि साथ कदम भी चला होता तो,
ये कांग्रेसी चलते बड़े ठसक से॥
देश का बेड़ा गर्क किया है,
तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
बहुत बैठ लिये कुर्सी पर,
अब खेत में जुतना पड़ेगा॥
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
1 comment:
वाह बहुत ख़ूब
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