जनता ने सजाये दिये
गायी प्रभाती
नव विहान आया
कण्ठ-कण्ठ समवेत् हो
मंगलगान गाया।
नव विहान आया।
करने बुझते दीप मे
हर हाथ स्नेहदान आया॥
जाग उठा लोकतन्त्र
नव-प्राण पाया॥
गायी प्रभाती
नव विहान आया
कण्ठ-कण्ठ समवेत् हो
मंगलगान गाया।
नव विहान आया।
करने बुझते दीप मे
हर हाथ स्नेहदान आया॥
जाग उठा लोकतन्त्र
नव-प्राण पाया॥
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