जीवन का सत्य
झाँकता है एक कोने से जैसे
चञ्चल जल पर प्रतिबिम्ब।
भाव अस्थिर-स्थिर ऐसे
बिन्दु-बिन्दु पर बिम्ब॥
ताम्रवर्ण का किसलय जैसे
तप्त-तृषित रविकिरणों से।
वैसे ही मन की अभिलाषा
खण्डित होती अश्रुकणों से॥
झाँकता है एक कोने से जैसे
चञ्चल जल पर प्रतिबिम्ब।
भाव अस्थिर-स्थिर ऐसे
बिन्दु-बिन्दु पर बिम्ब॥
ताम्रवर्ण का किसलय जैसे
तप्त-तृषित रविकिरणों से।
वैसे ही मन की अभिलाषा
खण्डित होती अश्रुकणों से॥
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