Friday, June 13, 2014

जीवन फिर विस्तीर्ण हुआ।।

इधर हृदय के हंस उड़े और,
उधर महासर क्षीण हुआ।
जीवन फिर विस्तीर्ण हुआ।।
पुष्प पुष्प मकरन्द उड़ाकर
 उपवन पवन प्रकीर्ण हुआ।
जीवन फिर विस्तीर्ण हुआ।।

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यथार्थ

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