मनमयूर नाच उठा
चित्त फाग हो गया।
इस बार
सच्चे अर्थों में होलिका जली
और प्रह्लाद बच गया।
दम्भी हिरण्यकशिपु
हाथ मलता रह गया।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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