उनके
पञ्चवर्षीय
स्याह अमावसी चेहरे पर
आज पूर्णमासी का
नूर बिखरा है।
मुख के म्लानता
और दाग को छुपाकर
पूर्णिमा का चाँद
दिखना है उनको।
उन्हें लगता है कि
इस बार भी उनकी
वादों और आश्वासनों
से लिपीपुती चमक को देखकर
जनसमुद्र चौंधिया जायेगा
और उसमें वोट का
ज्वार आयेगा
और वे, उनका
बनावटी पूर्णिमा से
ढँका अमावसी चेहरा
जीत जायेगा
फिर पाँच साल के
अमावस के लिये....
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