जनता का मत
ताश नहीं है
न शतरंज है
कि बाजी लगाया
जीत गये
जनता
तलाशती है
तराशती है
फिर सजाती है
अपनी बाजी और
जिताती है उसे
जिसे वो चाहती है
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यथार्थ
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9 comments:
लोकतन्त्र की जीत के भावार्थ वाली बेहद सशक्त रचना।
लोकतन्त्र की जीत के भावार्थ वाली बेहद सशक्त रचना।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 21 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह! सटीक।
बहुत उम्दा
ये तो पब्लिक है ये सब जानती है ...
अच्छी रचना ...
जी अच्छी रचना..!!
सुन्दर
Atisunder....
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