Wednesday, November 22, 2017

स्मृति

एक बार फिर से...
खुले स्मृतियों के झरोखे।
एक नया नाद ले
एक नया संवाद ले
शंखनाद कर रहे हैं
हम आगे बढ़ रहे हैं

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यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...