Wednesday, November 22, 2017

धेरिया न ह्वहैं तौ...

सोचत हौं धेरिया न ह्वैहैं
लकिन बहुरिया तौ ह्वैहैं
पूछित है धेरिया न ह्वैहैं
तौ बहुरिया केस ह्वैहैं।
बहुरिया न ह्वैहैं 
तौ बंसवा केस होये।
बंसवा न होये तौ
नरक केस तरिहौ
नरक न तरिहौ
तौ कहाँ का जइहौ
का सोचत हौं
यहि मृत्यु लोक मा
राज तू करिहौ
नानाप्रकार कै 
सुख तू भोगिहौ
बिना धेरिया कै
तू तरि जैहौ
तोहार फूल
गंगामैया लेहें
तुहँका भवसागर 
पार करइहे
अंतिम यात्रा मा
गंगामैया मिलिहें
लकिन तू सोचत हौं
धेरिया न ह्वैहैं 
का वै नरक से तरिहैं
हम पूछित है
गंगामैया के हुवैं
का धेरिया नाहीं वै
अब का सोचत हौं 
धेरिया न ह्वैहैं 
ह्वैहैं तौ तुहँका 
केस तरिहैं
जौ तुहँका गंगामैया तरिहैं
तौ धेरिया तौ ह्वैहैं
चाहौ न चाहौ
धेरिया तौ ह्वैहैं।
#बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ

No comments:

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...