मत समझो तुम उसको चिनगी
वह साक्षात् ज्वाला ज्वलिताकृति
केवल कोरी आग नहीं है वह
वह ऊर्जा पुञ्ज सृष्टि संसृति।
उसकी अलौकिक वीणा झंकृत कर
जग, जग को अनहद नाद सुनाता है।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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