बिना साज शृंगार के
देश कैसा दिखता है
देखना है तो यात्रा करो
ट्रेन से चलो।
बिना दिये के
देश कैसे दिखता है
जानना है
तो यात्रा करो
ट्रेन से चलों
बिना लाडलपेट
लोक कैसे व्यवहार करता है
समझना है तो
ट्रेन से चलो।
पूरा देश कैसे
विविधता में एक होता है
अनुभव करना है तो
यात्रा करो
ट्रेन से चलो।
देश कुछ शेष बची
वनस्पतियों का
क्या अन्तिम पता है
जिज्ञासा है तो
यात्रा करो
ट्रेन से चलो।
विकसित अविकसित का
क्या फासला है
देखना है तो
यात्रा करो।
ट्रेन से चलो
समाज कितना यथावत है।
कितना बदल रहा है
जानना है तो
यात्रा करो
ट्रेन से चलो।
मानव मन को।
मानव व्यवहार को।
लोकदर्शन को।
समीप से अनुभव करना है
टटोलना है
देखना है
तो यात्रा करो
ट्रेन से चलो।
लोक को जानना है।
देश को जानना है
प्रकृति को जानना है।
देश की वास्तविक
स्थिता-परिस्थिति को
जानना है
तो यात्रा करो
ट्रेन से चलो।।
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