Tuesday, November 21, 2017

किसान और खेती

खेत
हाँ खेत
ठीक से जुते हुये
तैयार हैं
उसकी माटी
ठीक से भुरभुरी है
कंकड़ पत्थर
प्लास्टिक और कांच के टुकड़ों को
एक-एककर बीनकर
किसान ने माटी छानकर
अलग कर दिया है
मेढ़ के किनारे
उनका कूरा लगा दिया है
अब माटी मुलायम है
थोड़ी नम है
और भुरभुरी है
बचे खुचे ढेलों को
तोड़ने के लिए
खेत हेंगा दिया गया है
और किसान खेत बोने के लिए
तैयार है
आलू, लहसुन, प्याज सब
अँखुआ गये हैं
धनिया भी दरकर
भिगोई गयी है
अँखुवाने के लिए
कुछ ओधी भी लायी गयी है
भाँटा , टमाटर, गोभी, मिर्चा की
मूली का बिया भी तैयार है
आलू के सेल्ही के बीच
बोये जाने के लिए
अब किसान
एक-एक कर
चुनकर सलीके से बोयेगा
हर बीज
लगायेगा हर ओधी
लहलहा उठेगा खेत
अद्भुत हरियाली से।
तैयार होगी फसल
कुन्तलों आलू, प्याज, लहसुन,
टमाटर, भांटा, मिर्चा, मूली, धनिया।
लेकिन किसान का यह
लहलहाता धन
पककर-कटकर
फिर
माटी के मोल बिकेगा
और किसान फिर
फटे वस्त्रों से
अपना तन ढकेगा
रसेदार सब्जी और
बुड्डी मारने पर
दाल का दाना मिलने वाली दाल पर
साल भर अपना व
परिवार का पेट भरेगा।
फिर लग जायेगा
अगली फसल बोने में
पसीना बहाने
फसल लहलहाने में।

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