Friday, November 24, 2017

खेती - किसानी कै आपन कहानी है

चित्र:साभार Google 
खेती किसानी कै
आपन कहानी है 
कब्बौ पड़े सूखा
कब्बौ बरखा कै पानी है। 
खेती किसानी कै
आपन कहानी है। 
कब्बौ खेत झुराय
कब्बौ भरा पानी है
कब्बौ बहिया बहे
लागे दैव नहात हैं 
कब्बौ पड़े झूरा जैसे
दैव अँचवत हाथ हैं। 
नीक उपजै अन्न तौ
मन होय प्रसन्न 
लकिन तब्बौ
उपज कै दाम देखि
किसान मरणासन्न।। 
खेती खराब तौ
मानौ दैव विपद् दिहिन
पीठ पेट एक किहिन
अकाल जेस दिन भवा
मुँह का जाबि दिहिन।। 
नीक हुवै तौ
बेकार हुवै तौ
साँझ-दुपहर-रात 
सकार हुवै तौ
किसान के आँख मा
आठौ याम पानी है। 
खेती किसानी कै
आपन कहानी है। 
मेढ़-मेढ़ खेत बँटा
मेढ़ेस बँटा खरिहान
पानी कै बूँद बँटी
झगड़ा है साँझ-विहान।। 
गोबर कै खाद पटी
यूरिया मुँह चिढ़ावत ही। 
गरीब के खेत पाँस देखि
डाई मुँह बिरावत ही।। 
खरिहाने मा धानेक पयारी
मुँह उसकावत ही। 
अपनक कम देखि 
छोट खेतेक उपजि
बड़की बखार से 
नजर चोरावत ही।। 
हाइब्रिड धनवा तनी देखौ
बहुत इतरात है। 
खरिहाने से सीधा
बजार चला जात है।
वहका चुरवै का
चूल्हा पछतात है 
पर किसान देखौ अबहिंउ
वहै पुरान भात खात है।
वहके भोजन कै आपन
अलग कहानी है। 
सबसे बड़ा रंक वहै
जे सबसे बड़ा दानी है। 
खेती किसानी कै 
आपन कहानी है। 
@ममतात्रिपाठी 





4 comments:

अंदाज़-ए-नियाज़ said...

बहुतै बढ़िया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-11-2017) को "दूरबीन सोच वाले" (चर्चा अंक-2799) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... बहुत ही लाजवाब ... आपकी शैली अच्छी लगी ...

Onkar said...

बहुत खूब

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...