साभार : Google |
आँख के तारे मिले
जब नयन हमारे मिले
द्युति थी तुम्हारी
पर पुतली की चमक में
कुछ रंग हमारे मिले
आँख के तारे मिले
भावनायें बह चलीं
अन्तः व्यथायें कह चली
कुछ कथायें आगे बढ़ी
परस्पर भाव सारे मिले
आँख के तारे मिलें
कंठ स्तब्ध रह गया
मुँह मूक ही रखा
जिह्वा जड़ बनी रही
फिर भी सबकुछ कहा
सब कुछ सुना
जब हृदय हमारे मिले
आँख के तारे मिले
नयन करण बन गये
असंख्य शब्द कह गये
श्रोत खाली रह गये
हृदय कथन से भर गये
जब तेज हमारे मिले
आँख के तारे मिले
न सुनाई न बताई
न देखी न दिखाई
न गयी न आयी
न छुपी न छुपायी
जब कथ्य हमारे मिले
आँख के तारे मिले।
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