Tuesday, November 28, 2017

अन्तस् के पट खोलो

साभार :Google 
कुछ देर रुको
बैठो
और कुछ बोल पड़ो
खोलो अपने
हृदय की वो
खिड़कियाँ
जो बन्द पड़ी हैं
कुछ ताजी साँसें लो
कुछ ताजगी आने दो
अब छोड़ो दीर्घ निश्वास
कुछ ताजातरीन
जीवन जियो
और जीने दो
जो धूल बरसों से
ढँके है
हृदयतल को
उसकी तली तलाशो
और
अन्तरतम की
अनन्त गहराई में
निहारो
कुछ बोलो
अन्तस् के पट खोलों
बंद दरवाजों में
विचारों को
न कैद करो
नहीं दरक जायेंगे विचार
ढह जायेगी दिवार
चाहे जितना भी
पहरेदारी
मुस्तैद करो

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