कुछ देर रुको
बैठो
और कुछ बोल पड़ो
खोलो अपने
हृदय की वो
खिड़कियाँ
जो बन्द पड़ी हैं
कुछ ताजी साँसें लो
कुछ ताजगी आने दो
अब छोड़ो दीर्घ निश्वास
कुछ ताजातरीन
जीवन जियो
और जीने दो
जो धूल बरसों से
ढँके है
हृदयतल को
उसकी तली तलाशो
और
अन्तरतम की
अनन्त गहराई में
निहारो
कुछ बोलो
अन्तस् के पट खोलों
बंद दरवाजों में
विचारों को
न कैद करो
नहीं दरक जायेंगे विचार
ढह जायेगी दिवार
चाहे जितना भी
पहरेदारी
मुस्तैद करो
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