हँसते-गाते लोग यहाँ हैं
अश्रुधार को पिये हुये
प्रफुल्लित चेहरे जितने हैं
वेदना भयंकर लिये हुये
प्रफुल्ल वदन जितने दिखते हैं
उतनी पीड़ा जिये हुये।
पीड़ा की परिभाषा इनसे मत पूछो
हास-परिहास मुखर होगा
इनके हर प्रश्नोत्तर में
ललित-लसित प्रत्युत्तर होगा।
ये सरल-सहज उत्तर देंगे
छुपाना विधिवत् इन्हें आता है
या यूं कहें कि बचपन से ही
गोपन सिखाया जाता है।
सिखाया जाता है बिना
निःशब्द पीड़ा पी जाना
सिखाया जाता है इन्हें
अँधेरे में रहकर उजाला बनना
यह भी सिखाया जाता है कि
तम-तिमिर का नाम न लो
यह भी सिखाया जाता है कि
कभी वह न कहो जो हो।।
यूं कहें तो सीख पर ही टिका है
इन चिरवीरों का जीवन सारा
जो पी जाते हैं वेदना-समुद्र
पर नहीं दिखाते चेहरा थका-हारा
@ममतात्रिपाठी
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