नजर तुम्हारी है
नजरिया तुम्हारा है
जहाँ खड़े हो
वह अधिष्ठान भी तुम्हारा है
जिस कोण से देख रहे हो
वह कोण भी तुम्हारा है
पर खबरदार!
कोशिश मत करो
अपनी नजर और नजरिया
थोपने की मुझपर
क्योंकि मैं जहाँ खड़ी हूँ
वह अधिष्ठान हमारा है
दृष्टि भी हमारी है
दृष्टिकोण हमारा है।
यदि हमारी जिह्वा पर
अपनी बात चढ़ाओगे
तो निकलेगी ज्वाला
भस्म हो जाओगे।।
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