प्रवास सुखद है
प्रवास दुःखद भी है।
प्रवास जीवन के प्रति
नया दृष्टिकोण देता है।
सामाजिक समस्याओं को
सुलझाने का तोड़ देता है।
प्रवास देश-दर्शन है
प्रवास देशानुभव है
प्रवास नव-चिंतन है
प्रवास दिग्दर्शन है।
प्रवास एक प्रवाह है
प्रवास एक गति है
प्रवास उत्साह है
प्रवास प्रगति है।
प्रवास सुखद है
प्रवास दुःखद भी है।
हम प्रवास करते हैं
पक्षी भी प्रवास करते हैं
आकाश के पतंग भी
प्रवास पर जाते हैं।
सबकी अपनी - अपनी
प्रवास - परिधि है
कौन कितनी दूर जायेगा
लौट कर आयेगा
नहीं आयेगा
इसकी अपनी प्रविधि है।
कुछ सुख से
प्रवास करते हैं
कुछ दुःख से
प्रवास करते हैं
पर प्रवास के केन्द्र में
आनंदेच्छा बसती है
इसीलिये सब प्रवास करते हैं।
दूर देश से आये पक्षी
दूर देश को जाते हैं
आकाश को नापते हैं
हमें अचंभित करते हैं
साथ ही प्रवास की प्रबल सीख
हमारे मन में भरते हैं।
पर हम जब प्रवास पर
बाते करते हैं
तनिक सोचते हैं
तो मानवीय प्रवास के
कई रंग उभरते हैं
कुछ शान्ति के रंग हैं
जो बुद्ध ने दिया था
कुछ आक्रमण से बदरंग हैं
जो गोरी गजनी गुलाम
हूण कुषाण अंग्रेज
ने किया था
कुछ रंग हमें भंग कर गये
कुछ मिलकर हमारे रंग बन गये।
पर ये सच है कि
ये सभी प्रवासी रंग थे।
कुछ रंगबिरंगे थे
कुछ बदरंग थे।
प्रवास वह भी है
जब पुरबिया
और पूरब किसी
जनविहीन द्वीप पर
बसाये गये
गन्ने की खेती में लगाये गये।
वे क्या गये अपने देश से
न लौटा के लाये गये।
पूरा संसार देखकर
अपनी जड़ों की ओर लौटना
लौटकर संसार के विविध रूपों को
अपने लोगों को बताना
कुछ खुशी लुटाना
कुछ गम बाँटनि
यही सुखद प्रवास है
जिसमें लौटना है
या लौटने की आस है।
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