Monday, December 11, 2017

साँचे

उन्होंने कुछ साँचे बना रखे हैं
कुछ खाँचे-ढाँचे सजा रखे हैं
आप उनमें नहीं ढलते
उनमें नहीं जमते
उन से नहीं होते
उनमें नहीं बसते
तो आपका
आकार नहीं है
आपका कोई प्रकार नहीं है।
आप उनके लिए
विकार हैं
और उनकी नज़र में
धरती औ समाज पर भार हैं
आप बेकार हैं।
क्योंकि उनके साँचे में
साँसत में पड़ने पर भी
साँस उखड़ने पर भी
अंधकार में चलने पर भी
बादल के छाने पर भी
घातक ताड़ना पर भी
आप नहीं ढलते हैं
आप आप बन चलते हैं
इसलिए आपका
उनकी नजर में
कोई आकार नहीं है।।यह 

No comments:

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...