जल रही है ज्योति
जलने दो
स्नेह से तर है वर्तिका
स्नेह मिलने दो
मंद हवा बनकर बहो
बवंडर मत बनों
क्योंकि आवश्यक नहीं कि
बवंडर ज्योति बुझा सके
लौ कँपा सके।
ध्यान रहे
ज्योति ज्वाला बनती है
और हुताशन का रूप भी धरती है।
वह हुताशन न बने
दहन न करे
इसलिए तुम भी
बन सको तो मंद पवन बनो
बवंडर न मत बनो।
अन्यथा सब जल उठेगा
धूँ धूँ कर आग की
भेट चढ़ेगा
कुछ न बजेगा
इसलिए चिनगी
ज्योति ज्वाला की
शक्ति को मत आँकों
यहाँ राई से पहाड़
ज्योति से ज्वाल बनने में
देर नहीं लगती
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