लहरों के बीच खड़े होकर
समुद्र का आरव सुनना।
लहरों का ज्वार बनना
भाटा बन उतर जाना
मौन हो चुपचाप देखना
नवसर्जना का पदचाप देखना
नूतन इतिहास चुपचाप निहारना।।
पीकर भीषण रोर समुद्र बन जाना।।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
No comments:
Post a Comment