शक्तिस्रोत वाणी
ओजपूर्ण स्वर।
बैखरी रूप
हुआ मुखर।
धन्य दिशायें
धन्य कर्ण-विवर।
अमृतमय राग
श्रवणगोचर।
उज्जवल स्वरूप
शुक्ल भास्वर।
अदम्य प्रकाशपुँज
स्रोत भास्कर।।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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