Sunday, January 21, 2018

वसंतपञ्चमी

वसंत की सुगंध भरे
जन-जीवन का रिक्तपात्र।
कण-कण प्रफुल्लित हो
नवरस का हो सूत्रपात।।
वाणी पर साक्षात् सरस्वती
वीणा ले हों विराजमान
श्रीगणेश का आशीष ले
हो निरन्तर लेखनी प्रवाहमान।
बुद्धि और विवेक से
जीवन सम्पन्न हो।
स्वयं सुखी रहे हम
और सब प्रसन्न हों।।
@ममता
वसंतपञ्चमी पर आपको सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-01-2018) को "जीवित हुआ बसन्त" (चर्चा अंक-2857) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
बसन्तपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Unknown said...

nice lines, looking to convert your line in book format publish with HIndi Book Publisher India

Jyoti khare said...

बसंत पंचमी के आगमन और प्रेम के मनुहार का यह मौसम सुहावना होता है
बहुत सुंदर रचना
हार्दिक शुभकामनाएं

सादर

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...