छोटी-छोटी बड़ा अम्बर दे जाती हैं।
छोटी-छोटी बूँदें गागर भर जाती हैं।
जब मिलती हैं गगरियाँ तो सागर बन जाती हैं।
परस्पर सागर की उर्मियाँ मिल महासागर कहलाती हैं।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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