तुम जागो
या मत जागो
पर विहान होना ही है।
प्रभात की लाली छानी ही है।
सूरज निकलना ही है
जनजीवन को अपने उद्यम में लगना ही है।
तुम जागो
या मत जागो
सूरज को उगना ही है।।
तुम्हारे चाहने से
तुम्हारे कहने से
तुम्हारे आँख मूँदने से
सदा अँधेरा ही नहीं रहेगा
घाम निकलेगा
दिन होगा
इस दिन में बस...
तुम्हारा दुर्दिन होगा।
क्योंकि.....
तुम रात के पहरेदार
पैरोकार जो ठहरे।
इसलिये तुम्हारे हश्र की
साक्षी होंगी दोपहरें।।
या मत जागो
पर विहान होना ही है।
प्रभात की लाली छानी ही है।
सूरज निकलना ही है
जनजीवन को अपने उद्यम में लगना ही है।
तुम जागो
या मत जागो
सूरज को उगना ही है।।
तुम्हारे चाहने से
तुम्हारे कहने से
तुम्हारे आँख मूँदने से
सदा अँधेरा ही नहीं रहेगा
घाम निकलेगा
दिन होगा
इस दिन में बस...
तुम्हारा दुर्दिन होगा।
क्योंकि.....
तुम रात के पहरेदार
पैरोकार जो ठहरे।
इसलिये तुम्हारे हश्र की
साक्षी होंगी दोपहरें।।
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