कौन रोक सकता जलद को
जलबिन्दु बन
जलधि में अस्तित्व खोना।
कौन रोक सकता उसकी
मधुरिमा का लवणीय हो जाना।
प्रकृति का चक्र है
छः रस परस्पर मिलते रहते हैं।
कटु, अम्ल, मधु, तिक्त, कषाय, लवण
रूप धरते रहते हैं।।
जलबिन्दु बन
जलधि में अस्तित्व खोना।
कौन रोक सकता उसकी
मधुरिमा का लवणीय हो जाना।
प्रकृति का चक्र है
छः रस परस्पर मिलते रहते हैं।
कटु, अम्ल, मधु, तिक्त, कषाय, लवण
रूप धरते रहते हैं।।
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