Monday, June 25, 2018

परित्यक्त

बंद पड़ी अलमारियों
जाला लगी खिड़कियों
धूलधूसरित सामानों के बीच
देखकर लगता नहीं कि
इस मकान में
कभी जीवन बसता था।
लटके हुये चमगादड़
दीमक लगे दरवाजे
चिटके पल्लों
आँगन में बेतरतीबी से
उग आयी घासों
और विशालकाय
नीम को देखकर
लगता नहीं इस मकान में कभी
जीवन बसता था।
परित्यक्त हो
यौवन में ही
खंडहर हो जायेगा
ईंट-ईंट जोड़कर
बनाया गया घर
संजीदगी से
सजाया गया घर
यह बनाने वाले ने
कभी नहीं सोचा था।
इसलिये देखकर ऐसा लगता नहीं
कि इसमें जीवन बसता था।
अट्टालिकायें उठाना
पैसा कमाना
तो सिखाया उसने
बच्चों को
पर न सिखाया
रिश्ते निभाना
न बताया गाँव-घर से नाता
न सिखाया गाँव आना।
इसलिये यौवन में ही श्रीहीन हुये
खंडघरों को देखकर
बनाने वाले पर
मुझे तरस नहीं आती।

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