Thursday, December 26, 2019

नकली चमक

झिलमिलाती रोशनियों में
पतंगा न बनना
डोर है पतंग की
कट जायेगी
मन मचल उठा
शलभ का तो
पल में जिन्दगी
पलट जायेगी
हिस्से की साँसे
सिमट जायेंगी
रोशनी होगी
आज भी,कल भी
लेकिन वह
तुम्हारा जीवन
झपट जायेगी।
चकाचौंध से
चौधियायें न निगाहें
नहीं जिन्दगी
अँधेरे में कट जायेगी।
-ममता त्रिपाठी

No comments:

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...