झिलमिलाती रोशनियों में
पतंगा न बनना
डोर है पतंग की
कट जायेगी
मन मचल उठा
शलभ का तो
पल में जिन्दगी
पलट जायेगी
हिस्से की साँसे
सिमट जायेंगी
रोशनी होगी
आज भी,कल भी
लेकिन वह
तुम्हारा जीवन
झपट जायेगी।
चकाचौंध से
चौधियायें न निगाहें
नहीं जिन्दगी
अँधेरे में कट जायेगी।
-ममता त्रिपाठी
पतंगा न बनना
डोर है पतंग की
कट जायेगी
मन मचल उठा
शलभ का तो
पल में जिन्दगी
पलट जायेगी
हिस्से की साँसे
सिमट जायेंगी
रोशनी होगी
आज भी,कल भी
लेकिन वह
तुम्हारा जीवन
झपट जायेगी।
चकाचौंध से
चौधियायें न निगाहें
नहीं जिन्दगी
अँधेरे में कट जायेगी।
-ममता त्रिपाठी
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