Thursday, December 26, 2019

परिश्रम का धन

उनके बटुए में कुछ ही पैसे थे पर उनकी खनक कुछ और थी क्योंकि वे परिश्रम के पैसे थे। उनके बटुए में कुछ ही पैसे थे। पर उनके चेहरे की चमक कुछ और थी क्योंकि वे परिश्रम के पैसे थे। #ममतात्रिपाठी

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यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...