महिला, स्त्री, पत्नी, जाया
तेरे नाम अनेक ।
स्नेह, वात्सल्य, करुणा, ममता,
दया, त्याग, तप और समर्पण,
सबकी मूर्ति तू एक ।
तेरे नाम अनेक ।
श्रद्धा की देवी है तू पर
अज्ञानी शठ जान न पाते ।
शक्तिरूप साक्षात् है देवी!
शक्ति को पहचान न पाते ॥
तू जननी है, तू माता है,
तू ही पुत्री, तू ही भगिनी ॥
तू ही मुग्धा, तू ही प्रेयसी,
तू ही सृष्टिस्वरूपा पत्नी ॥
संबन्धों का तार तू ही है,
सम्बन्ध का आधार तू ही है ॥
सृष्टिचक्र, गमन-आगमन,
ब्रह्माण्ड तू ही, संसार तू ही है ।
1 comment:
समय के साथ संवाद करती आपकी यह प्रस्तुित काफी सराहनीय है। मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE पर आपके सुढावों की आथुरता से प्रतीक्षा रहेगी।
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