चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,
मंगलमय सर्वदा,
नूतन परिधान हो ।
निर्मल वितान हो ।
प्रकृति का शृंगार हो ।
दानवता का संहार हो ॥
मानवता विजित हो ।
पशुता पराजित हो ।
सृष्टि-स्वस्ति भावना,
जन-जन में जाग्रत हो ॥
लोभ-मोह त्यागें सब,
तम-निद्रा से जागे सब,
भेदभाव त्यागकर,
एक्य मार्ग पर चलें ।
भोगवाद छोड़कर,
सर्वे भवन्तु सुखिनः
कण्ठ-कण्ठ अब कहे ॥
2 comments:
सर्वे भवन्तु सुखिनः
bahut sundar v sarthak rachna .nav sanvatsar kee hardik shubhkamnayen .
सर्वे भवन्तु सुखिनः
bahut sundar v sarthak rachna .nav sanvatsar kee hardik shubhkamnayen .
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