Tuesday, May 27, 2014

सफलता का पहला प्रहर है।


आलोचना का स्वर मुखर है, 
दिवस मेँ सूरज प्रखर है।
अरुण की सप्तवर्णी रश्मियाँ सजाये।
सफलता का पहला प्रहर है।।

3 comments:

Asha Lata Saxena said...

बढ़िया लिखा है

Vaanbhatt said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति...

Asha Joglekar said...

वाह और अब सफलता का सूरज प्रखर ही होता जायेगा।

यथार्थ

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