Tuesday, February 16, 2016

वामपंथ के कुपंथ के दिन आज ढल चुके...


वामपंथ के कुपंथ के दिन आज ढल चुके।
राष्ट्रवाद रोर से जेएनयू-पट खुल चुके।।
अब राष्ट्रद्रोही फसलें यहाँ पनपने न पायेंगी।
भारत की पीढ़ियाँ यूँ भटककर यौवन न गँवायेंगी। 
देश आज जान चुका कि द्रोह यहाँ पलता है।
भारत की अभिवृद्धि से वाम-दिल जलता है।।
कांग्रेस का हाथ ले खेतियाँ जो होती थीं।
खुले हाथ से जो विषबीज बोती थीं।।
आज राष्ट्रद्रोही हाथ वे उजागर हो चुके हैं।
जो पूरे विश्व से आधार अपना खो चुके हैं।।
रक्तरंजना से इतिहास जिनका है भरा।।
आज देश ने देख लिया इनका विद्रूप चेहरा।।
ये अलगाव के बीज को बोते हुये पाये गये।
आतंक के अण्डों को सेते हुये पाये गये।।
व्याप्त है इनकी रगो में अभी जिन्ना का जिन्न।
मंशा है इनकी कि करें भारत को छिन्न-भिन्न।।
इनके मंसूबों को हम अब पलने नहीं देंगे।
JNU को आतंक का अड्डा बनने नहीं देंगे।।
इनसे कह दोशकि यदि इन्हें पाक से इतना प्यार है।
तो चले जायें पाकिस्तान इनको अधिकार है।।
जिनको भारत भारतीयता से प्यार नहीं है।
उन सर्पों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है।।
अब इनकी रागिनी को चलने नहीं देंगे।
इन विषधर साँपों को पलने नहीं देंगे।।

1 comment:

Anonymous said...

प्रशंसनीय

यथार्थ

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