Monday, March 20, 2017

आओ चलें

आओ चलें
उस क्षितिज की ओर
जहाँ
दिशायें अरुणाभ हैं,
रश्मियाँ हैं निष्कल।
अवनि अम्बर के
स्पर्श को विकल।
भास्वर शुक्ल
अभास्वर निर्मल।

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