पहले एक लोटा पानी था
अब एक बोतल पानी है।
उस पानी का मूल्य नहीं था
इस पानी का दाम है।
उसको हम यूं ही उड़ेल देते थे
इसको संभालकर रखते हैं।
क्योंकि दाम देकर खरीदी वस्तुएँ ही
हमें मूल्यवान लगती हैं।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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