कुछ लोग नम्रता को
व्यक्ति की दीनता
हीनता मान लेते हैं।
उनको विनम्रता औ
दीनता की
पहचान नहीं होती।
और ऐसे लोग
अपने पहचान न पाने की
कमजोरी को
दूसरों पर थोप
हर विनम्र को
कमजोर करार देते हैं।
इस तरह
अपनी ही न्यूनता और
कमजोरी से
अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
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