कमल खिलना
इतना आसान नहीं था।
क्योंकि हरे-नीले शैवालों ने
छेक रखा था सरोवर।
... पर उन्हीं के बनाये
कीचड़ में सुगंध फैलाने
खिल उठा कमल।
उन्हें अखर रहा है कि
उनके सशक्त शैवाल
जो जकड़े थे
सरोवर की प्राणवायु को
आखिर सड़ कैसे गये?
पर जकड़न में सड़न
पलती है।
सड़न से अपघटन होता है
अपघटन से नव-सृजन होता है।
यह शाश्वत सत्य है।
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