रंग बदलते-बदलते
इतने बदरंग हुये कि
अब अपने ही उन्हें
पहचान नहीं पाते।
बहुत से अपने
साथ छोड़ गये,
जो साथ हैं वे सोच रहे
काश! हम भी साथ छोड़ जाते।।
खैर...
विस्मृत हो जाने का गम उन्हें सता रहा है
देश उनका अस्तित्व भुला रहा है।।
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