चुनाव का मंच सजा है
सजे-धजे हैं
गाजे-बाजे
पगडंडी सी उखड़ी
सड़क देखकर
नेताजी मुँह चुराते
धूल नहाते
मुँह बिचकाते
और फिर
करते वही पुराने वादे।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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