दीप यूं नहीं जलता
यू नहीं प्रकाश देता
उसके प्रकाशन हेतु
स्नेह चाहिये
और चाहिये एक अलख
वह शिक्षक है
जो स्नेह भरता है
तेज देता है
और फिर जगमगाता दिया
जग की ड्यौढी पर
जलाकर धरता है
प्रज्वलित होने के लिए
प्रकाश देने के लिए।
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