Wednesday, November 22, 2017

अमावस में एक दिया जलाओ तुम

गहन निशा से बाहर निकलो
मत का तिमिर मिटाओ।
एक नन्हा कदम ही सही
पूर्णिमा की ओर बढ़ाओ।
यह चक्र सदा चलता रहता
विराम इसकी विपरीत दशा है।
चलना ही धर्म यहाँ है
यह चक्र कभी नहीं रुका है।
इस चक्र को गतिमान करने
तनिक द्युति मिलाओ तुम
न सही पूनम की रात
पर अमावस में एक दीप तो जलाओ तुम।।
@ममतात्रिपाठी

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