गाँव में हेंवँत का सबेर
कुहरा का लबादा ओढ़कर आता था
पर...
पर देश की राजधानी में
दिनभर कुहरे सी चादर तनी है
पर यह कुहरा नहीं है
धुंध है
जो धूल और प्रदूषण को
आँचल में लिये
भीषण दिख रही है।।
पर...
आश्चर्य है कि
धुंध में ढँकी दिल्ली
अब भी हँस रही है।
या बेबस हो हँस रही है।
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