Wednesday, November 22, 2017

स्वप्नशिल्पी

स्वप्नशिल्पी
जो गढ़ता है स्वप्न को
बनाता है मार्ग
और पहुँचता है
स्वप्न तक
वह अपना मार्ग
जानता है
उसका महत्व समझता है
वह जानता है कि
सपनों के
मायने क्या हैं
स्वप्न की राह में
बाधायें-अटकले क्या हैं
वह जानता है व्यूह
व्यूह-रचना
व्यूह-तोड़ना
और विवेक की नाव पर
सवार हो
स्वप्न तक पहुँचना
उसे साकार करना।
वह जानता है
श्रम का मूल्य
सीकरों का महत्व
ठिठुराती शीत
लू की लपट
वह जानता है
भस्म होना
स्वाहा बनता
वह जानता है
वर्तिका के स्नेह में जलना।
थके कदमों से
सधे कदम ले
आगे बढ़ना
वह जानता है
धीरे-धीरे
सुमेरुः चढ़ना।
उस कोई
हड़बड़ी नहीं है
न ही जल्दबाजी मची है।
वह अनवरत बिना रुके
बिना थके
चलता है।
वह जानता है
धूप की अहमियत
धूल की कीमत
और छाँव का महत्व
वह जानता है स्वप्न की कीमत।
वह जानता है
जीवन का तत्त्व ।
@ममतात्रिपाठी

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